laxmi ganesh ki murti kaise rakhe

लक्ष्मी गणेश की मूर्ति कैसे रखनी चाहिए, किस दिशा में रखें

माता लक्ष्मी व भगवान गणेश की हर घर में पूजा की जाती है। दीपावली के दिन विशेष रुप से मां लक्ष्मी व भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापित की जाती है। भगवान गणेश को सिद्धिविनायक व विघ्नविनाशक कहा जाता है। भगवान गणेश को ज्ञान का देवता कहा जाता है कहते हैं कि भगवान गणेश इतने विद्वान व ज्ञानी थे कि वेदव्यास जी ने जब भगवान गणेश से महाभारत लिखने के लिए मदद मांगी तो उन्होंने कहा कि मैं अवश्य लिखूंगा, लेकिन अगर तुमने बोलना बंद कर दिया तो मै लिखना छोड़ दूंगा।

साथ ही साथ उन्होंने सीधे हाथ से ना लिखकर उल्टे हाथ से महाभारत लिखी थी। जिससे कि उनकी लेखनी की गति धीमी हो जाए और वेद व्यास जी आराम से सोच समझकर बोल पाए। कहते हैं कि अगर आपके पास ज्ञान नहीं है तो आप अपने धन का सदुपयोग भी नहीं कर पाएंगे।

धन धान्य के लिए लक्ष्मी कैसे रोके

आप अपने धन को निरर्थक या गलत कार्यों में व्यर्थ कर देंगे व आप अपनी गलत आदतों के कारण अपने धन का सदुपयोग नहीं कर पाएंगे। व धन की देवी महालक्ष्मी को भी आप अपने पास अधिक समय तक नहीं रोक पाएंगे। मां लक्ष्मी उसी घर में रहती हैं जहां ज्ञान व सम्मान होता है। मां लक्ष्मी धनधान्य की देवी मानी जाती हैं तो हर घर में मां लक्ष्मी व भगवान गणेश के पूजा अवश्य की जाती है। जिस घर में मां लक्ष्मी व गणेश जी की विधि-विधान पूर्वक पूजा की जाती है वहां मां लक्ष्मी व गणेश जी की कृपा हमेशा बनी रहती है।

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किस दिशा में रखें मां लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति

गणेश जी व मां लक्ष्मी की मूर्ति एक साथ स्थापित की जाती है। मां लक्ष्मी व गणेश जी में मां बेटे का संबंध है। गणेश जी को लक्ष्मी जी के बायीं ओर विराजमान किया जाता है। मंदिर में लक्ष्मी जी व गणेश जी की मूर्ति ईशान कोण में रखी जाती है। ईशान कोण पूर्व व का उत्तर दिशा का कोना होता है। जिसे पूजा की दृष्टि से सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ईशान कोण को देव मूर्ति स्थापित करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।ईशान कोण में लक्ष्मी जी व गणेश जी कीशमूर्ति को ऐसे स्थापित किया जाता है कि जब हम पूजा करते हैं तो हमारा चेहरा भगवान की तरफ देखते हुए हो। हमारा चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ होना चाहिए।

लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति कैसे रखी जाती है

हमारे धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि पत्नी को पति के वामांग विराजित किया जाता है। मां लक्ष्मी को गणेश जी के हमेशा दाहिनी और ही रखना चाहिए। हम सब जानते हैं कि भगवान गणेश मां लक्ष्मी जी के मानस पुत्र हैं। अतः भूल से भी लक्ष्मी जी को गणेश जी के वामांग विराजित नहीं करना चाहिए। अगर हम भगवान विष्णु की मूर्ति भी स्थापित कर रहे हैं, तो हमें सबसे पहले भगवान विष्णु की फिर मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। ऐसी स्थिति में भगवान गणेश की मूर्ति लक्ष्मी जी के वामांग रखनी चाहिए।

किस धातु की हो मां लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति

हर हिंदू घर में लक्ष्मी जी व गणेश जी की पूजा होती है । लक्ष्मी जी और गणेश जी मिलकर घर के लिए आवश्यक सभी चीजों जैसे सुख समृद्धि वैभव व शांति से परिपूर्ण करते हैं अतः हर घर में लक्ष्मी व गणेश जी की कोई न कोई चाहे मिट्टी की या फिर सोने की प्रतिमा होना अति आवश्यक है अतः अपनी सामर्थ्य के अनुसार हर व्यक्ति उस मूर्ति को सोने, चांदी, पीतल या फिर मिट्टी की खरीदता है। अगर मूर्ति सोने या चांदी की होती है तो उसे हर साल दीपावली के दिन शुद्ध कर कर अगले साल के लिए घर के मंदिर में स्थापित कर लिया जाता है।

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मिट्टी के गणेश जी और लक्ष्मी जी की मूर्ति हर साल दीपावली के दिन बदली जाती है। पुरानी मिट्टी की मूर्ति को किसी जलाशय में प्रवाहित कर दिया जाता है। अब तो लोग परात में गंगाजल में भगवान की मूर्ति को प्रवाहित कर देते हैं। जब वह मूर्ति मिट्टी में विलुप्त हो जाती है तो उसे अपने गमलों में डाल लेते हैं।

गणेश लक्ष्मी की मूर्ति कितनी बड़ी होनी चाहिए

अगर आप घर में मां लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर रहे हैं तो वह बैठी हुई अवस्था में होनी चाहिए। अगर आप अपने व्यापार स्थल में, दुकान में या प्रतिष्ठान में लक्ष्मी जी की और गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर रहे हैं तो वह खड़ी हुई स्थिति में होनी चाहिए। आप लक्ष्मी जी और गणेश जी के साथ मां सरस्वती की मूर्ति की भी स्थापना कर सकते हैं। मां सरस्वती को बुद्धि व विवेक की देवी कहा जाता है। खड़ी हुई मूर्ति का अर्थ होता है कि धन, बुद्धि, ज्ञान, विवेक इस समय गतिमान स्थिति में है। बैठी हुई स्थिति का अर्थ है कि धन, बुद्धि, ज्ञान, विवेक आपके पास आकर रूक गया हैं।

अगर घर में मां लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर रहे हैं और वह बैठी हुई है तो इसका अर्थ है कि आपके पास मां लक्ष्मी व गणेश जी हमेशा आपके साथ रहने वाले हैं। अगर आप व्यापार में व्यापार स्थल में भगवान की बैठी स्थिति में मूर्ति स्थापित करेंगे तो इसका अर्थ होगा कि आपके पास धन रुक गया है। व्यापार स्थल में लक्ष्मी का आना जाना अर्थात लक्ष्मी का चलायमान होना अति आवश्यक है। इसी तरह से भगवान गणेश का भी व मां सरस्वती का भी मूर्ति का खड़ा होना यही दिखाता है कि हम और ज्ञान व विवेक अर्जित कर रहे हैं। समय के साथ हमारा ज्ञान दिन पर दिन बढ़ रहा है। हम अपने ज्ञान का अपनी बुद्धि व विवेक का सर्वांगीण विकास कर रहे हैं। व्यापार में संचित ज्ञान व विवेक का दिन पर दिन बढ़ना अति आवश्यक है। इसलिए घर में अगर आप लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति स्थापित कर रहे हैं तो वह बैठी हुई स्थिति में हो और अगर व्यापार स्थल में स्थापित कर रहे हैं तो खड़ी हुई स्थिति में हो।

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