दुकान का आकार
- सिंहमुखी दुकान- वह दुकान जिस का आगे वाला भाग चौड़ा तथा पीछे का भाग शंकरा होता है। सिंह मुखी या बागमुखी दुकान कहलाती है। दुकान का यह आकार बहुत ही शुभफल दायी होता है। इस से व्यापर को प्रसिद्धि मिलती है। ऐसा माना जाता है आगे का भाग चौड़ा होना अधिक समृद्धि का दुकान में आने का प्रतीक है।
- गोमुखी दुकान- वह दुकान जिस के आगे का भाग कम चौड़ा हो तथा पीछे का भाग अधिक चौड़ा हो गौमुखी दुकान कहलाती है। दुकान का यह आकार लाभदायक नहीं होता है। ऐसा माना जाता है मुख द्वार छोटा होने से दुकान में ज्यादा धन नही आ पाता है।
- दुकान आकार वर्गाकार अथवा आयताकार होने से आर्थिक वृद्धि होती है। दूकान का ढलान प्रवेश द्वार की ओर नहीं होना चाहिए। जिस से धन बाहर की और जाता है और व्यापार में उचित लाभ नहीं हो पाता है।
दुकान में मंदिर
सामान को रखने की दिशा
- दुकान के ईशान कोण अर्थत उत्तर पूर्व में कोई भाड़ी वस्तु न रखें। यह दुकान का बहुत ही महत्वोंऊर्ण स्थान होता है। इस स्थान को या तो खाली रखें या जितना हो सके हल्का रखें। इस स्थान को हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए। इस स्थान में लक्ष्मी जी का वास होता है ।
- दूकान में पीने के पानी की व्यवस्था उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व में रखें। ऐसा करने से दुकान में लक्ष्मी का लाभ होता है और धन लाभ होता है।
- यदि दुकान में कोई टीवी या कंप्यूटर रखना चाहते है तो दक्षिण पूर्व दिशा सबसे ज्यादा लाभ देने वाली है।
- दुकान में ईशान कोण या आग्नेय कोण अर्थात उत्तरपूर्व या दक्षिणपूर्व दिशा में दुकान की बिक्री का समान नहीं रखना चाहिए।
- दुकान के सामने कोई बिजली का पोल या पेड़ नहीं होना चाहिए।
- दूकान में प्रयुक्त बिजली उपकरण जैसे – मीटर, स्विच बोर्ड, इनवर्टर इत्यादि आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व में ही रखना चाहिए। यदि अन्य दिशा में रखते है तो आगजनी जैसे परेशानी का शिकार हो सकते है। दुकान में शार्ट सर्किट आदि का दोष बना रहता है।