हमारा प्राचीन विज्ञान जैसे आयुर्वेद, योग, अध्यात्म, ज्योतिष, रत्न चिकित्सा, आदि सभी इन्हीं चक्रों को आधार बनाकर काम कर रहा था। वह चक्र जिस पर हम सबसे पहले काम कर रहे हैं वह है, नाभि चक्र। आज की इस पोस्ट में हम नाभि चक्र के बारे में विस्तार से जानेंगे।
नाभि चक्र क्या है? - nabhi chakra in hindi
इसी तरह से मानसिक रूप से यह हमारे आत्मसम्मान, इच्छाशक्ति, आत्मविश्वास, उत्साह, हास्य, शारीरिक ऊर्जा, आदि भावनाओं को भी नियंत्रित करता है। जब नाभि चक्र अव्यवस्थित होने लगता है तो हमारे शरीर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करने लगती है जैसे डर की भावना, शर्म, ईष्र्या, उदासी, घृणा, कपट आदि।
नाभि चक्र के कार्य - nabhi chakra
• माँ के गर्भ में बच्चे का विकाश नाभि चक्र के द्वारा ही होता है। बच्चा गर्भ में नौ महीने तक माँ की नाभि से ही जुड़ा रहता है। इसलिए जन्म लेने के बाद हमारे शरीर का केंद्र ही नाभि चक्र होता है।
• हमारे शरीर में उत्सर्जित होने वाली सारी ऊर्जा का नियन्त्रण नाभि चक्र के द्वारा ही होता है। जब तक नाभि चक्र व्यवस्थित नहीं होगा तब तक बाकी चक्र भी सही से काम नहीं करेंगे।
• हमारे शरीर में कई सारी बीमारियों का कारण नाभि चक्र में असंतुलन होने से होता है। जब शरीर पर कोई दवा काम नहीं कर रही होती है तो ध्यान इस बात पर जाता है की कहीं नाभि में कोई समस्या तो नहीं है।
• नाभि चक्र हमारे मानसिक और शारीरिक दोनों संतुलन का प्रमुख आधार है। अगर नाभि चक्र में थोड़ा सा भी बैलेंस इधर-उधर हुया तो हमारे शरीर में समस्या आने लग जाती है।
नाभि चक्र में असंतुलन से कौन-कौनसी समस्या हो सकती है?
- nabhi chakra problems• चिंता, तनाव और डिप्रेशन
• मानसिक और शारीरिक असंतुलन
• शरीर में कमजोरी आना
• रीढ़ की हड्डी में दर्द होना
• पाचन संबधित समस्या होना
• बार-बार बीमारी पड़ना
• बिना किसी कारण एलर्जी होना
• आत्मविश्वास में कमी होना
• इच्छाशक्ति में कमी होना