रत्न ज्योतिष

कैसे 1 रत्न बदल देगा किस्मत के पत्ते

अक्सर जब भी हम ज्योतिष के पास जाते है तो वह हमें हमारी समस्या के अनुरूप हमें रत्न पहनने को देते है। इन रत्नों का अपना अलग-अलग फायदा होता है।आज की इस पोस्ट में हम आपको कुछ ऐसे ही 7 अलग-अलग रत्नों के बारे में बताएँगे जिनके अपने अलग-अलग फायदे है।आईये जानते है 7 रत्नों के फायदों के बारे में

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1 रत्न पहनना क्यों जरुरी है

रत्न पहनना क्यों जरुरी है

हर राशि और जन्म अंक के हिसाब अलग-अलग रत्न होते है।जिनको पहनने से शारीरिक और मानसिक तकलीफें दूर होती है।इसके बारे में एक शोध में भी यह बात सामने आई है की इन रत्नों के स्पर्श मात्र से ही शरीर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने लगते है। इसके बहुत से स्वास्थ्य फायदे भी है जिनके बारे में हम आज जानेंगे।

माणिक रत्न

माणिक रत्न
माणिक रत्न

माणिक अंग्रेजी में रूबी  (Ruby Stone)

माणिक्य रत्न के लाभ

यह रत्न सिंह राशि का है जो सूर्य के दोषों को दूर करता है।यह सिर, दिल, पेट और आँखों के दोष को दूर करता है।इससे पहनने से ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियों में राहत मिलती है।इसके अलावा पीठ में होने वाला दर्द भी सही होता है।

माणिक रत्न की कीमत

कीमत में इसका कोई मोल नहीं है, इसकी क्वॉलिटी पारदर्शिता व कलर पर निर्भर करता है इसका मूल्य। सबसे उत्तम बर्मा का माणिक माना गया है। यह अनार के दाने-सा दिखने वाला गुलाबी आभा वाला रत्न बहुमूल्य है। इसकी कीमत वजन के हिसाब से होती है। यह बैंकॉक का भी मिलता है; लेकिन कीमत सिर्फ बर्मा की ही अधिक होती है। बाकी 100 रु. से 500 रु. कैरेट तक में मिल जाता है, लेकिन बर्मा माणिक की कीमत 1000 रु. कैरेट से आगे होती है। एक कैरेट 200 मिली का होता है व पक्की रत्ती 180 मिली की होती है।

माणिक रत्न की पहचान

  • शुद्ध दूध में असली माणिक रखने पर दूध का रंग गुलाबी दिखाई देता है। वहीं, कांच के बरतन में इसे रखने से बरतन के चारों ओर हल्की किरण निकलती हुई दिखाई देती है।
  • असली माणिक या रूबी की पहचान आप कमल के फूल की कली के साथ एक प्रयोग करके कर सकते हैं। कमल की बंद कली पर जैसे ही माणिक रखेंगे, वह कली खिल उठेगी।

माणिक पहनने की विधि

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बिना अभिमंत्रित किये माणिक्य धारण करने से इसका पूरा लाभ नहीं मिलता है। इसलिए इसे धारण करने से पहले सूर्य देव की पूजा करें साथ ही “ओम् ह्रां ह्रीं, ह्रौं सः सूर्याय नमः” मंत्र का जप करें। इसके बाद रत्न धारण करें। कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा अथवा रविपुष्य नक्षत्र में रविवार का दिन इस रत्न को धारण करना उत्तम होता है।

नीलम अंग्रेजी में सैफायर (Sapphire)

नीलम पत्थर के फायदे

यह कुम्भ और मकर राशि का रत्न है जो की शनि की पीड़ा को दूर करता है। इसे धारण करने से वैवाहीक जीवन खुशहाल रहता है। घुटनों के दर्द, घाव,अंडकोष बीमारी,श्वांस संबधी बीमारी आदि में यह बहुत फायदेमंद है।

नीलम रत्न की कीमत

बेहतरीन नीलम जम्मू और कश्मीर की खानों में पाया जाता है जो आज के दौर में लगभग मिलना नामुमकिन है और यदि मिल भी जाये तो उसकी कीमत अदा करना हर किसी के बस की बात नहीं है। श्रीलंका का नीलम भी बेहतरीन होता है और यह आसानी से उपलब्ध हो जाता है लेकिन यह भी एक महंगा रत्न होता है! इसकी कीमत 1,000 रु कैरेट से लेकर 100,000 रु कैरेट तक हो सकती है! अच्छे प्रभाव के लिए कम से कम 3,000 रु कैरेट तक का नीलम धारण करना चाहिए।

नीलम रत्न की पहचान

  • अगर आपको अच्छी क्वालिटी के बारे नहीं जानते है तो हम आपको बता रहे है कि कैसे जाने कि यह असली है कि नकली।नीलम को दूध में डाल दे तो यह दूध के रंग को भी नीला कर देता है। तो समझ जाइए कि वह असली है।
  • नीलम रत्न की एक और पहचान यह है कि यह दिखाई देने में चमकीला और चिकना होता है। पानी से भरे कांच के गिलास में यदि नीलम को रखें तो पानी के ऊपर नीली किरण दिखाई देने लगती है। मोर के पंख की तरह इसका रंग नीला होता है। यह पारदर्शी होता है। इसके ऊपर रोशनी डालने पर नीली आभा छिटकती है।
  • जब भी आप नीलम खरीदने जा रहे है तो आपको बता दे कि जब आप अंदर ध्यान से देखने पर दो परत दिखाई देती हैं। ये दोनों लेयर एक दूसरे के समानांन्तर होती हैं। इसलिए नीलम रत्न को खरीदते वक्त इसकी अलग-अलग परत को देखना ध्यान रखें। परत देखने के लिए आप सूर्य की रोशनी की तरफ देख सकते हैं। यदि इसमें कहीं से भी आपको पीला प्रकाश दिखाई दें तो यह असली नीलम नहीं है।
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नीलम पहनने की विधि

आप नीलम धारण करना चाहते है तो 3 से 6 कैरेट के नीलम रत्न को स्वर्ण या पांच धातु की अंगूठी में लगवाये। और किसी शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को सूर्य उदय के पश्चात अंगूठी की प्राण प्रतिष्ठा करे। इसके लिए अंगूठी को सबसे पहले गंगा जल, दूध, केसर और शहद के घोल में 15 से 20 मिनट तक डाल के रखे, फिर नहाने के पश्चात किसी भी मंदिर में शनि देव के नाम 5 अगरबत्ती जलाये, अब अंगूठी को घोल से निकाल कर गंगा जल से धो ले, अंगूठी को धोने के पश्चात उसे 11 बारी ॐ शं शानिश्चार्ये नम का जाप करते हुए अगरबत्ती के उपर से घुमाये, तत्पश्चात अंगूठी को शिव के चरणों में रख दे और प्रार्थना करे हे शनिदेव मै आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न धारण कर रहा हूँ कृपा करके मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करे। फिर अंगूठी को शिव जी के चरणों के स्पर्श करे और मध्यमा ऊँगली में धारण करे।

मोती रत्न

मोती के फायदे

मोती रत्न
मोती रत्न

यह चन्द्र रत्न है जो की कर्क राशि के लिए फायदेमंद है। इसे पहनने से श्वांस रोग, दिमागी रोग, त्वचा रोग आदि में आराम मिलता है।इसे पहनने से पाचन संबधी बीमारियाँ भी दूर होती है।अगर आप ज्यादा सेंसेटिव और इमोशनल इन्सान है तो यह रत्न आपके लिए बहुत उपयोग है।यह आपको भानात्मक रूप से मजबूत करता है।

मोती रत्न की कीमत

मोती अनेक रूप रंगों में मिलते हैं। इनकी कीमत भी इनके रूप रंग तथा आकार पर आंकी जाती है। इनका मूल्य चंद रुपये से हजारों रुपये तक हो सकता है। प्राचीन अभिलेखों के अध्ययन से पता चलता है कि फारस की खाड़ी से प्राप्त एक मोती 6 हजार पाउंड में बेचा गया था। फिर इसी मोती को थोड़ा पॉलिश करने के बाद 15000 पाउंड में बेचा गया। संसार में आज सबसे मूल्यवान मोती फारस की खाड़ी तथा मन्नार की खाड़ी में पाये जाते हैं। इन मोतियों को ‘ओरियेंट’ कहा जाता है।

मोती रत्न की पहचान

  • अगर आपको मोती रत्न धारण करना है तो असली और नकली की पहचान करना जरुरी है
  • असली मोती को गाय के घी में डालने पर सख्त घी थोड़ी देर में पिघल जाता है और नकली मोती में ऐसा नहीं होता है।
  • दो मोतियों को अपने अंगूठे और तर्जनी ऊॅगली से पकड़े और अपने सामने के दॉतों के चबाने वाले किनारों के बीच दबायें। बॉयें से दॉये, और दायें से बॉयें रगड़ते हुये मोतियों को दॉतों के बीच घुमाते रहें। सामान्यतः असली मोती की बनावट थोड़ी खुरदरी या कुरकुरी सी होती है एंव इसकी उपरी सतह में थोड़ी खामियॉ होती है। शीशे या प्लास्टिक से बने नकली मोती लगभग पूर्ण प्रतीत होते है।
  • मोती एक प्राकृतिक उत्पाद है, इसलिए हर मोती लगभग दूसरे मोती से थोड़ा सा अलग प्रतीत होता है। अधिकतर मोती पूर्णरूप से गोल नहीं होते है बल्कि थोड़ा सा अण्डाकार होते है। असली मोती गोल होते है किन्तु इनका मिलना थोड़ा दुर्लभ होता है।
  • असली मोती की पहचान के लिए उन्हें अपने हाथों में ले और फिर देखें आप कैसा महसूस कर रहें है। असली मोती त्वचा के सम्पर्क में आने के बाद थोड़ी देर के लिए काफी ठण्डे महसूस होते है। दूसरी तरफ नकली मोतियों का तापमान लगभग कमरे के तापमान के बराबर होगा और वे बहुत तेजी से गर्म हो जायेंगे।
  • आप एक या दो मोतियों को अपने हाथ में लेकर उछालकर अनुमान लगायें कि उनका वजन कितना है। अधिकतर असली मोती बराबर आकार के नकली मोतियों की तुलना में कुछ अधिक वजनदार महसूस होंगे।

मोती पहनने की विधि

मोती धारण करने का शुभ दिन सोमवार है व इसे चांदी की अँगूठी में पहनना चाहिए। मोती धारण करने से पूर्व इसे पहले (दूध-दही-शहद-घी-तुलसी पत्ते) पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। इसके पश्चात् इसे गंगाजल से स्नान कराये। अब पूजा स्थल पर धुप व दीप प्रज्वल्लित करें और मोती को सामने रखते हुए चन्द्र देव का ध्यान करें। अब इस मंत्र के यथा संभव जप करें ॐ चं चन्द्राय नमः।अब अंत में दीपक के ऊपर से 11 बार मोती को घुमाते हुए चन्द्र देव का ध्यान करें। अब आप इसे अपनी सबसे छोटी ऊँगली(कनिष्ठा) में धारण करें।

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पुखराज रत्न

पुखराज अंग्रेजी में   टोपाज (Topaz)

पुखराज के फायदे

यह धनु राशि का रत्न है जो गुरु के दोषों को दूर करता है।इसे पहनने से शादीशुदा जिंदगी खुशहाल बनती है।इसके अलावा गर्भाशय की बीमारी, सेक्स समस्याएं,कीडनी, लीवर, घुटने और कोहनी के दर्द में आराम मिलता है।यह रत्न गुस्से को शांत करने में बहुत फायदेमंद है।

पुखराज की कीमत

भारत में मिलने वाला पुखराज अधिकतम 5,000 हजार रुपए रत्ती तक मिल जाता है, लेकिन भारतीय पुखराज की ग्रेविटी कम होने की वजह से इसे बेहतर नहीं माना जाता।

अगर आपको अच्छे परिणाम चाहते हैं तो आपको श्रीलंका के सिलोन की खानों से आने वाले पुखराज को धारण करना चाहिए, लेकिन इसकी कीमत भारतीय पुखराज से कहीं ज्यादा होती है। यह आपको 10 हजार रुपए रत्ती से लेकर 1,50,000 रुपए रत्ती तक मिलता है। जिसकी ग्रेविटी दुनिया की दूसरी खदानों से निकलने वाले पुखराज से बेहतर होती है।

पुखराज रत्न की पहचान

  • असली पुखराज की परख करने के लिए शीशे के एक ग्लास में गाय का दूध रखें। इसके अंदर पुखराज को डाल दें। अगर असली पुखराज होगा तो एक से डेढ़ घंटे में पुखराज की किरण ऊपर से छिटकती नजर आएगी।
  • जब आप पुखराज खरीद रहे हों तो उसे हाथ में लेकर हिलाएं भार महसूस होगा। असली पुखराज चिकना और साफ होता है। इसे अंगूठा और कनिष्ठा से दबाने पर छिटक कर दूर जाकर गिरता है। -पीला पुखराज सरसों के फूल के समान गहरा पीला दिखता है। पुखराज का पीलारंग हरापन लिये नज़र आये तो ऐसा पुखराज बिल्कुल नहीं लेना चाहिए।
  • पुखराज अगर दानेदार अथवा परतदार नज़र आये तो इसे भी नहीं खरीदना चाहिए। उत्तम कोटि के पुखराज को आग पर गर्म करने पर बीच में अस्त होते सूर्य की तरह लाल नज़र आता है।

पुखराज पहनने की विधि

ज्योतिषी की रत्न सलाह पर अपनी जरूरत और जेब के अनुसार ही पुखराज को सोने या चांदी की अंगूठी के साथ दाएं हाथ की तर्जनी में धारण करें। तर्जनी के निचले हिस्से में गुरु पर्वत का स्थान माना जाता है। बच्चों को पैंडेंट के रूप में गले में धारण करवा सकते हैं।

पुखराज को धारण करने का सही दिन गुरुवार है और सूर्योदय के बाद दोपहर से पहले इस रत्न को धारण करने का सबसे उचित समय माना गया है। पुखराज को धारण करने से पहले उसे गंगाजल और गाय के दूध में धोने के बाद घर में पूजा के स्थान पर रखकर इस विश्वास के साथ धारण करना चाहिए कि आप पूरी आस्था के साथ अपने जीवन में परिवर्तन लाने के लिए इस ​दैवीय गुण वाले रत्न को धारण कर रहे है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि हम जिस भावना के साथ कोई पहल करते हैं, उसके परिणाम पर उस भावना का प्रभाव पड़ता है।

पुखराज रत्न
पुखराज रत्न

 

गोमेद अंग्रेजी में ओनिक्स Onyx Stone

गोमेद रत्न के लाभ

जो लोग युरेनस के कारन तकलीफ भोग रहे है उन्हें यह रत्न पहनना चाहिए। इसके अलावा जिनका जन्म अंक 4 हो उन्हें भी यह रत्न पहनना चाहिए।इसे पहनने से श्वांस,दिमागी रोग, गैस, पेट, दिल आदि बीमारियाँ ठीक होती है।

गोमेद की कीमत

  • गोमेद सिलोनी 800 से 3000 गो-मूत्र के रंग वाला, सब से बढ़िया माना जाता है , उड़ीसा गोमेद 200 से 500 तक
  • गया गोमेद 100 से 300 यह काले रंग का होता है. सस्ता है, पर बहुत प्रभावी माना जाता है।
  • अफ़्रीकी गोमेद 400 से 1,000 यह दाम 5 रत्ती 11 रत्ती तक के प्रति नग के हैं।

गोमेद रत्न की पहचान

  • गोमेद रत्न को पहनने के लिए सबसे पहले इसे 24 घंटे के लिए गोमूत्र में डालकर छोड़ दे,अगर आपका गोमेद रत्न असली है तो गौमूत्र का रंग बदल जाता है. और अगर ये नकली है तो गौमूत्र का रंग नहीं बदलता है।
  • आप चाहे तो इसे दूध में डालकर भी पता लगा सकते है की ये असली है या नहीं, इसके लिए अगर आपका गोमेद रत्न असली है तो इसे दूध में डालने पर  दूध का रंग गोमूत्र की तरह दिखने लगता है।
  • असली गोमेद रत्न को लकड़ी के बुरादे में रगड़ेगे तो उसकी चमक घट जायेगी।

गोमेद पहनने की विधि

शनिवार के दिन अष्टधातु या चँदी की अँगूठी में जड़वाकर षोड़षोपचार पूजन करने के बाद निम्न ‘‘ऊँ रां राहवे नमः” मन्त्र की कम से कम एक माला जाप करके मध्यमा उँगली में धारण करना चाहिए। गोमेद धारण विधि को अच्छे से करने से उसके फल जरूर प्राप्त होते है।

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गोमेद किस उंगली में पहने

गोमेद को  मध्यमा उँगली में धारण करना चाहिए ।

पन्ना रत्न

पन्नाअंग्रेजी में एमरल्ड Emerald Stone

पन्ना रत्न के लाभ

यह रत्न कन्या राशि वालों के लिए शुभ माना जाता है।इसके अलावा जिनका जन्म अंक 5 है वे भी इसे धारण कर सकते है।यह रत्न बुध का प्रतीक है।जिस पर बुध का प्रभाव है वे इसे पहन सकते है।यह दिमाग और कान की बीमारियों में बहुत फायदेमंद है।

पन्ना की कीमत

पन्ना अत्यंत नरम पत्थर होता है तथा अत्यंत मूल्यवान पत्थरों में से एक है। रंग, रूप, चमक, वजन, पारदर्शिता के अनुसार इसका मूल्य निर्धारित होता है। यह रत्न 500 रुपए कैरेट से 5 हजार रुपए कैरेट तक आता है।  यह अधिकतर दक्षिण महानदी, हिमालय, गिरनार और सोमनदी के पास पाया जाता है।

पन्ना रत्न की पहचान

  • असली पन्ना दिखने में घास की तरह हरा और मखमली होता है।
  • असली पन्ना पारदर्शी होता है, इससे आर-पार आसानी से देखा जा सकता है।
  • छूने पर यह चिकना और वजन में काफी हल्का होता है।
  • इसके ऊपर पानी की बूंद डालने पर बूंद यथावत रहती है।
  • शीशे के गिलास में पानी भरकर पन्ना रखने पर हरी किरणें निकलती दिखाई देती हैं।
  • लकड़ी के ऊपर रगड़ने से इसकी चमक और बढ़ जाती है।

पन्ना रत्न पहनने की विधि

पन्ना को सोने, चांदी अथवा प्लैटिनम की अंगूठी में जड़वाकर बुधवार के दिन सुबह दूध से स्नान करवाकर छोटी उंगली में धारण करना चाहिए। पन्ना रत्न धारण करने की विधि में बुधवार के दिन अश्लेषा, रेवती, पूर्वाफाल्गुनी अथवा पुष्य नक्षत्र हो तो और उत्तम रहता है।

इसे धारण करने से पहले ‘ओम ब्रां, ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः’ मंत्र का 9,000 बार जप करना चाहिए। अगर एक बार में 9,000 बार जप पूरा नहीं कर पाते हैं तो रत्न धारण करने के बाद नियमित जप करते हुए इतनी संख्या पूरी कर लेनी चाहिए। पन्ना रत्न धारण विधि को अच्छे से करने से उसके फल जरूर प्राप्त होते है।

हीरा

हीरा अंग्रेजी में डायमंड Diamond

हीरा रत्न के फायदे जिन पर शुक्र ग्रह का दोष है और जिनका जन्म अंक 6 है वे इसे पहन सकते है।यह रथं शुक्राणुओं की कमी को दूर करता है और इसके साथ ही इसे पहनने से चरम रोग भी दूर होते है।जो लोग ज्यादा नशा करते है वे इस रत्न को पहनने से नशे से छुटकारा पा सकता है।

हीरा की कीमत

  • एक कैरेट हीरे की कीमत कम से कम एक लाख है।
  • आईसीईएक्स तीन साइज- 30 सेंट्स, 50 सेंट्स और 100 सेंट्स 1 कैरेट के डायमंड कॉन्ट्रैक्ट में कारोबार शुरू करेगा। मौजूदा कीमत के हिसाब से 30 सेंट के हीरे की कीमत 27,000 रुपये 900 रुपये प्रति सेंट होगी।
  • एसआईपी के जरिए हर महीने 900 रुपये देकर आप ढाई साल के बाद हीरा खरीद सकते हैं। इसके लिए आईसीईएक्स पर किसी ब्रोकर के साथ खाता खोलना होगा। साथ ही केवाईसी नियम पूरे करके कुछ पैसा जमा कराना होगा।

हीरा रत्न की पहचान

  • हीरा बिजली का कुचालक होता है, अतः हाथ में हीरे की अंगूठी पहनने पर बिजली के झटके का प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • बकरी के ताजे दूध में रखने पर कुछ समय उपरांत हीरा टूक-टूक हो जाता है।
  • हीरे की चमक स्थायी व ताप में शीतल होती है।
  • उन्नतोदर ताल द्वारा सूर्य की किरणें एकत्रित कर हीरे पर डालने पर जल जाता है।
  • हीरे को अत्यधिक गर्म करने पर रंग हल्का हो जाता है, परन्तु शीतल होने पर रंग पुनः पूर्ववत्‌ हो जाता है।
  • हीरा कठोर होते हुए भी भंगुर है तथा हाथ से नीचे गिरने पर टूट जाता है।
  • अंधकार में अच्छे हीरे के प्रकाश में पढ़ा जा सकता है।

हीरा पहनने की विधि

हीरा रत्न शुक्लपक्ष के शुक्रवार के दिन स्वर्ण धातु में जड़ित कराना चाहिए। यह रत्न वाईट गोल्ड या चांदी धातु में भी धारण करना चाहिए। संभव हों तो शुभ मुहूर्त का प्रयोग करें। अन्यथा प्रातकाल के समय का प्रयोग करें।

हीरा किस उंगली में पहने

हीरे की अंगूठी बनवाने के बाद इस अंगूठी की पूजा, प्राण-प्रतिष्ठा एवं हवन आदि भी कराना चाहिए। सोने की धातु में जड़वाने के बाद इस रत्न को शुक्ल पक्ष के शुक्रवार के दिन ही इसे प्रातकाल में ईष्टदेव का पूजन करने के बाद पूर्ण विधिवत विधि से इसे अभिमंत्रित करायें। शुक्र मंत्र का जाप करते हुए इस रत्न को धारण करें। को अच्छे से करने से उसके फल जरूर प्राप्त होते है।

शुक्र मंत्र- ऊं शुं शुक्राय नमः

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