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फैक्टरी से संबंधित वास्तु टिप्स – vastu tips for factory in hindi

[vc_column_text]जब हमारा कारोबार अच्छा चल रहा हो तो हम व्यपार को बढ़ावा देने के लिए स्वयं से ही उत्पाद शुरू करते है। फेक्टरियों का निर्माण उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए बनाया जाता है जिस से की हमारा व्यापार दूर दराज तक फैले और अधिक से अधिक लाभ हो। परंतु अक्सर लोग फैक्ट्रियों का निर्माण करते समय वास्तु का विशेष ध्यान नहीं रखते है जिस से उत्पादन में अनेकों दोष उटपन हो जाते है जिस से व्यापार भी घाटे में चला जाता है। बहुत से लोगों के द्वारा कीसी भी जगह पर चार दीवारी बना कर मशीन आदि रख कर फैक्टरी बना दी जाती है। दिशा आदि का ध्यान बिल्कुल भी नहीं रखा जाता है। आज हम इस लेख में उन बातों को आप तक लेकर आए है जो फैक्टरी के निर्माण के समय विशेष तौर पर ध्यान रखनी चाहिए जिस से वास्तु दोषों से बचा जा सके। [vc_custom_heading text=”फैक्टरी से संबंधित दिशाएं – vastu shastra for factory in hindi” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%23ff0000″][vc_column_text]

  • फैक्टरी का मुख्य गेट हमेशा ही उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। उत्तर-पूर्व को वास्तु के अनुसार ईशान दिशा कहा जाता है। इस दिशा में वास्तु पुरुष का मुख होता है। अतः यह दिशा मुख्य गेट के लिए उपर्युक्त रहती है।
  • फैक्टरी में मशीनरी मुख्य सामान होता है इनको स्थापित करने से पहले दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इसे हमेशा दक्षिण में, पश्चिम में, या दक्षिण-पश्चिम दिशा में स्थापित करना चाहिए।
  • मशीनरी को चलाने हेतु लाइट, हीटर, बॉइलर आदि को दक्षिण में, पूर्व में या दक्षिण-पूर्व में स्थापित करना चाहिए।
  • कच्चे माल से उत्पादन किया जाता है। अतः कच्चे माल को हमेशा उत्तर-पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम में स्थापित करना चाहिए। तथा कच्चे माल से तैयार माल उत्पादन के पश्चात उत्तर दिशा में, पूर्व दिशा में या उत्तर पूर्व दिशा में रखना चाहिए। निर्मित वस्तु को इस दिशा में रखने से जल्दी से जल्दी बिकने की सम्भावना होती है, क्योंकि इस कोण का तत्व वायु है जो की अस्थिर प्रवृति का होता है।
  • फैक्टरी प्रमुख का कार्यालय उत्तर दिशा में, पूर्व दिशा में या उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए। कैशियर को हमेशा उत्तर की दिशा में मुंह करके बैठना चाहिए। कैश बॉक्स को हमेशा दाएं हाथ से उत्तर दिशा की ओर खोलनी चाहिए। कैश बाक्स में कुबेर ,महालक्ष्मी और स्फटिक के श्री यंत्र की स्थापना करनी चाहिए।
  • कर्मचारियों के आवास वायव्य में बनाये जाये। यदि कवार्टर बहुमंजिला बनाना हो तब भी इसकी ऊंचाई मुख्य कारखाने से किसी भी हालत में अधिक ऊँची नही होनी चाहिए। फैक्टरी में कच्चे माल से उत्पादन होता है तो वहाँ सुरक्षा भी जरूरी होती है जिसके लिए अगर आप ने सेक्योरिटी गार्ड लगा रखे है तो उनका रूम मेन गेट के राइट तरफ होना चाहिए।
  • निर्माण करते समय दक्षिण एवं पश्चिम में कम स्थान व उत्तर पूर्व में अधिक खुली जगह रखनी चाहिए। दक्षिण और पश्चिम दिशा में भारी एवं बड़े पेड़ लगाना चाहिए।
  • फैक्टरी में मंदिर बनाना लाभकारी होगा। अगर फैक्टरी में मंदिर बनाया जाता है तो उसकी दिशा सदैव ही उत्तर की तरफ ही होनी चाहिए।
  • वस्तुओ की तोलन माल की गणना आदि करने के लिए फैक्टरी के उत्तर-पश्चिम दिशा में एक स्थान निर्धारित कर लेना चाहिए।
  • गौ मुखी आकार फैक्टरी के निर्माण के लिए लाभ कारी होता है। इस आकार में आगे का भाग संकर तथा पीछे का भाग चौड़ा होता है। इस से उत्पादन में लाभ मिलता है तथा हर तरह की वास्तु दोष दूर होते है।
  • फैक्टरी की चिमनी दक्षिण-पूर्व में लगानी चाहिए जिस से बहुत से वास्तु दोष स्वतः ही दूर हो जाएंगे। अंडर ग्राउन्ड वाटर टंक ईशान कोण में बनाने चाहिए।
  • आफिस या फेक्टरी के अंदर सीढ़ी हमेशा दक्षिण, पश्चिम या दक्षिण-पश्चिम भाग में बनवानी चाहिए, सीढ़ी को हमेशा घडी की दिशा में घूमना चाहिए।
  • वास्तु के अनुसार फैक्टरी के फर्श की ढलान दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर होनी चाहिए। पानी से संबंधित समस्त प्रबंधन उत्तर-पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए।
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