परीक्षा की तैयारी समय और मेहनत मांगती है । बोर्ड की परीक्षा की तैयारी तो हम सभी ने की है । क्या, कब और कैसे पढना है? अधिकतर बच्चों का मार्ग दर्शन अभिभावक करते हैं। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कुछ बच्चें अभिभावकों से दूर रहते है । उन्हें पढाई की एक कार्य शैली बनानी होती है। जिसमें प्रतियोगी की दिनचर्या और पढाई का तरीका होता है। उसे पढने के स्थान, दिशा व समय का ध्यान रखना होता है। इससे उसके सफल होने की संभावना बढ जाती है।
कौन सी दिशा है उपयोगी सभी के पढने के लिए
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए दिशाओं का विशेष योगदान है। हमारा अध्ययन कक्ष कहाँ हो । हमारी किताबें , स्टडी टेबल कहाँ रखें। इन सब बातों का वास्तु शास्त्र में विशेष महत्व है । विभिन्न प्रोफेशन की तैयारी के लिए दिशाएं भी अलग होती हैं ।
किस दिशा में बैठकर किस प्रोफेशन की तैयारी करें
पूर्व दिशा उपयुक्त है किनके लिए
सरकारी सेवा, प्रशासनिक सर्विस की तैयारी के लिए पूर्व दिशा उपयुक्त है । रेल्वे सर्विसेज की तैयारी भी पूर्व दिशा में करें । छोटे बच्चें एवं विद्यार्थियों के लिए पूर्व दिशा में पढना शुभ होता है। इससे विद्यार्थी तेजवान एवं एकाग्रचित होता है। पढाई मैं विद्यार्थी का मन लगता है। उसका मन भटकता नही है ।
पश्चिम दिशा उपयुक्त है किनके लिए
उच्च शिक्षा की तैयारी कर रहे व्यक्तियों के लिए पश्चिम दिशा शुभ है। रिसर्च कर रहे व्यक्तियों के लिए पश्चिम दिशा शुभ है। इतिहास के क्षेत्र के परीक्षार्थी के लिए पश्चिम दिशा शुभ है। दर्शन शास्त्र के परीक्षार्थी के लिए भी पश्चिम दिशा शुभ है। साहित्य व अन्य गंभीर विषयों की पढ़ाई के लिए पश्चिम दिशा उपयुक्त है।
उत्तर दिशा उपयुक्त है किनके लिए
वित्तीय क्षेत्र की पढाई के लिए उत्तर दिशा में पढें। अकाउंट की पढाई के लिए उत्तर दिशा सर्वश्रेष्ठ है। बैंकिंग क्षेत्र की पढाई के लिए उत्तर दिशा श्रेष्ठ है। वित्तीय, प्रबंधन की पढाई के लिए भी उत्तर दिशा फलदायक है। कला के क्षेत्र की पढाई के लिए उत्तर दिशा को चुनें। म्यूजिक व डांस के क्षेत्र के लिए भी उत्तर दिशा में ही अध्ययन करें।
दक्षिण दिशा उपयुक्त है किनके लिए
डाक्टरी की पढाई दक्षिण दिशा में बैठकर करें । इन्जीनियरिंग की तैयारी दक्षिण दिशा में करें । न्याय एवं कानून की तैयारी के लिए दक्षिण दिशा फलदायक है। कम्प्यूटर शिक्षा के लिए दक्षिण दिशा लाभदायक है। टेक्नीकल कोर्सेज की तैयारी दक्षिण दिशा में करें। ज्लदी ही शुभ परिणाम मिलेंगें।
पढाई की टेबल किस स्थिति में हो
वास्तु के अनुसार स्टडी रूम की टेबल रूम के एक कोने से थोड़ा आगे रखें। स्टडी रूम की टेबल कमरे के बिल्कुल मध्य में नही होनी चाहिए। स्टडी टेबल को दीवार से सटा कर रखना भी ठीक नही है। कोशिश करे कि स्टडी टेबल पूर्व या उत्तर दिशा में हो। कुछ वास्तुशास्त्री दक्षिण पश्चिम की दिशा को स्टडी टेबल रखने के लिए अच्छा बताते हैं। स्टडी टेबल पर एक ग्लोब रखें । उसे दिन में तीन-चार बार घुमाएं। स्टडी टेबल का वर्गाकार होना आदर्श स्थिति माना जाता हे। इससे विद्यार्थी का मन एकाग्रचित होता है।
किस दिशा में हो स्टडी लैंप
वैसे तो स्टडी लैंप का कांसेप्ट वास्तु के अनुसार ठीक नही है वास्तु शास्त्र के अनुसार रोशनी हमेशा विद्यार्थी की पीठ के पीछे से पड़े। विद्यार्थी के ऊपर ऊंचाई से रोशनी का पड़ना भी वास्तु के अनुसार सही होता है। टेबल लैंप से रोशनी हर जगह बराबर नही पड़ती। केवल किताबों पर पड़ती है। टेबल लैंप को अपने आग्नेय कोण (दक्षिण पूर्व) की दिशा में रखें। इस तरफ लैंप रखने से कागज पर परछाई नही पड़ती।
किताबें हो किस दिशा में रखें
पढते समय किताबें, काॅपी आदि उत्तर पूर्व की दिशा मे रखें। किताबों की अलमारी हमेशा पूर्व या उत्तर की दिशा में हो। किताबें हमेशा व्यवस्थित रखें किताबों की अलमारी खुली न छोड़े । गणेश जी व मां सरस्वती की तस्वीर पूर्व या उत्तर दिशा में लगाए । प्रभू से विद्यार्जन की प्रार्थना कर पढें व सोये ।
कहाँ बैठकर पढने के लिए कौन सी दिशा है उपयुक्त
घर में स्टडी रूम बनवाते समय दरवाजे की दिशा पर ध्यान दें। दरवाजा कमरे के बीचोंबीच न होकर पूर्व या उत्तर दिशा में हो। छोटे घरों में अलग से स्टडी रूम की व्यव्स्था नही होती। ऐसी स्थिति में हमें जहाँ जगह मिले वही पढना होता है। आप ड्राइंग रूम में पढ रहे है तो आपकी टेबल चेयर उत्तर, पूर्व दिशा में हो। बेड रूम में पढते समय टेबल चेयर दक्षिण पश्चिम दिशा में हो दक्षिण-पश्चिम की दिशा स्थायित्व की दिशा है। यह हमें ध्यान केंद्रित करने व नियमित रहने में मदद करती है। बालकोनी , ऑगन जैसी खुली जगहों पर बैठकर पढने से एकाग्रता भंग होती है।
सोने की दिशा
विद्यार्थी को उत्तर की ओर सिर करके नही सोना चाहिए। विद्यार्थी सोते समय दक्षिण दिशा की ओर मुंह करे। पूर्व दिशा की ओर मुंह करके सोना भी विद्यार्थी के लिए शुभ होता है।
प्रतियोगी का दिमाग तेज होता हे। वो थोडी देर सोकर भी तरोताजा महसूस करता है। पृथ्वी के मैग्नेटिक फोर्स को संतुलित करने के लिए दक्षिण दिशा में सोना अच्छा है।
क्या न करें गलती से भी
अध्ययन कक्ष को गंदा न रखें। किताबें खुली न छोड़े। स्टडी टेबल पर बैठकर भोजन न करें। स्टडी टेबल के ऊपर कोई बीम न हो। मनोरंजन की वस्तुएं, , टीवी, मोबाइल कमरे में न रखें। कोशिश करें कि स्टडी रूम में अटैच बाथरूम न हो। अगर बाथरूम अटैच है तो उसे हमेशा बंद रखें । सोशल मीडिया को अध्ययन कक्ष में न प्रयोग करें। सोशल नेटवर्किंग साइट्स आपके ध्यान को भटकाती हैं। अपना कमरा फैलाकर न रखैं। आपकी कुर्सी के पीछे कोई दरवाजा, खिड़की न हो। कुर्सी के पीछे दीवार स्थायित्व प्रदान करती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार कुछ दिशायें विद्याध्ययन के लिए हमेशा उपयुक्त होती हैं। पूर्व, उत्तर, ऐसी दिशाएं हैं । जो अधिकांश के लिए शुभ हैं उत्तर की दिशा कुबेर व मां लक्ष्मी का प्रतिनिधित्व करती है । पूर्व दिशा भगवान सूर्य की दिशा है।