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बेसमेंट से संबंधित वास्तु टिप्स – vaastu tips for basement

आज कल महानगरों में घर बनाते समय जगह को लेकर बहुत बड़ी समस्या रहती है। बड़े प्लॉट बहुत ही महंगे होते है और मिलना मुश्किल होता है। अतः इस समस्या को दूर करने के लिए लोग घर में बेसमेंट का निर्माण करवाते है जिस से कुछ अतिरिक्त जगह मिल जाए और समान आदि रखने में भी कोई दिक्कत ना आए। बेसमेंट बनाते समय वास्तु का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। वैसे तो वास्तु के हिसाब से बेसमेंट सही नहीं माना गया पर कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाए तो वास्तु दोषों से बचा जा सकता है। आज इस लेख में उन बातों को आप तक लेकर आए है जीन का बेसमेंट बनाते समय विशेष ध्यान रखना चाहिए।

बेसमेंट बनाते समय रखे इन बातों का ख्याल

  • वास्तु शास्त्र के अनुसार, बेसमेंट बनाने के लिए भू-खंड के उत्तर, पूर्व अथवा उत्तर-पूर्व कोण का उपयोग करना चाहिए। भू-खंड के बीचोंबीच, पश्चिम व दक्षिण दिशा में बेसमेंट बनवाना अशुभ होता है। इससे धन की कमी, रोग, व्यापार में नुकसान जैसी समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। उत्तर-पश्चिम दिशा में बेसमेंट बनवाने से आलस्य, अस्थिरता और चोरी  होने का भय बना रहता है। यदि बेसमेंट के ऊपरी तल पर ईशान कोण में जमीन पर पानी का नल या टंकी हो, तो बेसमेंट शुभ होता है।
  • पूरे भूखंड में बेसमेंट का निर्माण नहीं करना चाहिए। यदि बड़ा भूखंड है तो उसके एक चौथाई भाग पर ही बेसमेंट बनवाना चाहिए। यदि अंडर ग्राउंड वाटर टंक बना ही तो उस से उचित दूरी पर बेसमेंट बनाना चाहिए।
  • बेसमेंट में उतरने के लिए सीढि़यां ईशान कोण या पूर्व दिशा में होनी चाहिए। बेसमेंट में टॉयलेट या बाथरूम नहीं बनवाना चाहिए। जहां तक हो सके, बेसमेंट में प्राकृतिक प्रकाश आना चाहिए। यदि बिजली का बल्ब या फिर एग्जॉस्ट फैन लगवा रहे हैं, तो इनको पूर्व दिशा या आग्नेय कोण में ही लगवाना चाहिए। रात के समय बेसमेंट में सोने से बचना चाहिए, जहां तक हो सके, दिन के समय ही बेसमेंट का प्रयोग करना चाहिए। इस लिहाज से कमर्शियल इस्तेमाल के लिए बेसमेंट उपयोगी साबित हो सकता है।
  • बेसमेंट में भारी सामान और कबाड़ दक्षिण एवं पश्चिम में ही रखें। पूर्व, उत्तर एवं ईशान कोण को खाली और स्वच्छ बनाए रखें। इस दिशा में पानी से भरा मिट्टी का मटका या भूमिगत पानी की टंकी रख सकते हैं। यदि इस ओर खिड़कियां या रोशनदान हों, तो बहुत अच्छा है। बेसमेंट के मुख्य द्वार पर विंड चाइम लगाना भी उत्तम माना गया है। इससे वहां सदैव सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी।
  • बेसमेंट का निर्माण अधिक केसों में स्टोर रूम बनाने के लिए बनाया जाता है। यहाँ पर अतिरिक्त समान रखा जा सकता है। पर बेसमेंट का प्रयोग कभी भी पूजा कक्ष या किचन बनाने में नहीं करना चाहिए।
  • बेसमेंट की छत 9 से 10 फीट ऊंची बनवाएं ताकि बेसमेंट पूरी तरह जमीन के भीतर न रहे। बेसमेंट का मुख्यद्वार पूरब या उत्तर पूर्व दिशा में बनवाएं ताकि बेसमेंट में प्राकृतिक रोशनी आ सके। उत्तर और पूर्वी भाग को खुला रखें ताकि वायु का प्रभाव लगातार बना रहे। प्लाट के किसी एक भाग में बेसमेंट बनाना हो तो उत्तर अथवा पूर्व दिशा में बेसमेंट बनवाएं।
  • बेसमेंट को अंदर से पिंक या ग्रीन कलर से पेंट कराना चाहिए। डार्क ब्लैक और रेड कलर बेसमेंट के लिए अनुकूल नहीं होता है। इससे बेसमेंट की उर्जा प्रभावित होती है। बेसमेंट के मुख्य द्वार पर उर्जा प्रदान करने वाले पौधे लगाने चाहिए। तुलसी और गुलाब का पौधा बेसमेंट के बाहर लगाना बेहतर होता है। बेसमेंट में काम करने वाले कों हमेशा अपना मुंह पूर्व दिशा की ओर रखना चाहिए।
इस तरह बेसमेंट बनाने में उपर्युक्त बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए क्यूंकी बेसमेंट भवन के आधार में होता है और सम्पूर्ण भवन उसी पर होता है वह ऊर्जा का विशेष केंद्र होता है।
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