[vc_column_text]वास्तु शास्त्र जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी है। वास्तु का सिद्धांत जीवन के सभी क्षेत्रों में लागू होता है। वह स्थान जहाँ जाकर हम प्रत्येक दिन काम करते है उस स्थान का वास्तु तो बहुत जरूरी है। अगर आप कोई व्यापारी है या दुकान, शो रूम आदि का संचालन करते है तो आप को वास्तु का विशेष ध्यान रखना होता है। कई बार ऐसा देखा जाता है की मुख्य बाजार में दुकान होने के बावजूद भी व्यापार उतना नहीं हो पाता है जिसके पीछे की मुख्य वजह है दुकान में कीसी तरह का वास्तु दोष का होना। कुछ ऐसी बाते इस लेख में हम आपके साथ लेकर आए है जो वास्तु शास्त्र से संबंधित है और आप दिन रात मेहनत करने के बाद भी उचित मुनाफा नहीं कमा पा रहे हो तो यह लेख आप के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो आप के कारोबार में समृद्धि आ सकती है। [vc_custom_heading text=”दुकान का आकार ” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%23ff0000″][vc_column_text]
- सिंहमुखी दुकान- वह दुकान जिस का आगे वाला भाग चौड़ा तथा पीछे का भाग शंकरा होता है। सिंह मुखी या बागमुखी दुकान कहलाती है। दुकान का यह आकार बहुत ही शुभफल दायी होता है। इस से व्यापर को प्रसिद्धि मिलती है। ऐसा माना जाता है आगे का भाग चौड़ा होना अधिक समृद्धि का दुकान में आने का प्रतीक है।
- गोमुखी दुकान- वह दुकान जिस के आगे का भाग कम चौड़ा हो तथा पीछे का भाग अधिक चौड़ा हो गौमुखी दुकान कहलाती है। दुकान का यह आकार लाभदायक नहीं होता है। ऐसा माना जाता है मुख द्वार छोटा होने से दुकान में ज्यादा धन नही आ पाता है।
- दुकान आकार वर्गाकार अथवा आयताकार होने से आर्थिक वृद्धि होती है। दूकान का ढलान प्रवेश द्वार की ओर नहीं होना चाहिए। जिस से धन बाहर की और जाता है और व्यापार में उचित लाभ नहीं हो पाता है।
[vc_custom_heading text=”दुकान में मंदिर” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%23ff0000″][vc_column_text]दुकान में मंदिर की दिशा बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। यह स्थान सकारात्मक ऊर्जा का एक विशेष केंद्र होता है। मंदिर बनाते समय यह विशेष ध्यान रखना चाहिए की मंदिर उत्तर में, पूर्व में या उत्तर-पूर्व अर्थात ईशान कोण में होना चाहिए। [vc_custom_heading text=”सामान को रखने की दिशा ” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%23ff0000″][vc_column_text]
- दुकान के ईशान कोण अर्थत उत्तर पूर्व में कोई भाड़ी वस्तु न रखें। यह दुकान का बहुत ही महत्वोंऊर्ण स्थान होता है। इस स्थान को या तो खाली रखें या जितना हो सके हल्का रखें। इस स्थान को हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए। इस स्थान में लक्ष्मी जी का वास होता है ।
- दूकान में पीने के पानी की व्यवस्था उत्तर, उत्तर-पूर्व या पूर्व में रखें। ऐसा करने से दुकान में लक्ष्मी का लाभ होता है और धन लाभ होता है।
- यदि दुकान में कोई टीवी या कंप्यूटर रखना चाहते है तो दक्षिण पूर्व दिशा सबसे ज्यादा लाभ देने वाली है।
- दुकान में ईशान कोण या आग्नेय कोण अर्थात उत्तरपूर्व या दक्षिणपूर्व दिशा में दुकान की बिक्री का समान नहीं रखना चाहिए।
- दुकान के सामने कोई बिजली का पोल या पेड़ नहीं होना चाहिए।
- दूकान में प्रयुक्त बिजली उपकरण जैसे – मीटर, स्विच बोर्ड, इनवर्टर इत्यादि आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व में ही रखना चाहिए। यदि अन्य दिशा में रखते है तो आगजनी जैसे परेशानी का शिकार हो सकते है। दुकान में शार्ट सर्किट आदि का दोष बना रहता है।
[vc_custom_heading text=”दुकान में बैठने की दिशा ” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%23ff0000″][vc_column_text]दुकान या शोरूम के मालिक को पश्चिम दिशा में बैठना चाहिए। ऐसा करने से आय में वृद्धि होती है। मालिक या मैनेजर तथा तिजोरी की जगह के ऊपर कोई बीम नहीं होना चाहिए। यह व्यवसाय के वृद्धि के लिए अच्छा नहीं होता। दुकान में काम करने वाले दुकानदार और कर्मचारी इस बात का ध्यान रखें की वह दूकान में बैठे तब उनका मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा में हो इस दिशा में मुख करके बैठने से धन लाभ होता है। ऐसा करने से ग्राहक का दुकानदार और कर्मचारियों के मध्य बेहतर सम्बन्ध बना रहता है। [vc_custom_heading text=”दुकान में तिजोरी की दिशा” font_container=”tag:h2|text_align:left|color:%23ff0000″][vc_column_text]प्राय गले के उपर कीसी भी तरह की मूर्ति या मंदिर नहीं होना चाहिए। दुकान की तिजोरी को पश्चिम या दक्षिण दीवार के सहारे रखना शुभ होता है जिससे उसका मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो।