फिटकरी से बवासीर का इलाज कैसे करें

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फिटकरी यह लाल व सफ़ेद दो प्रकार में पायी जाती है । बावासीर मे सफ़ेद फिटकरी का प्रयोग ज्यादा किया जाता है। यह संकोचक अर्थात सिकुड़न पैदा करने वाली होती है | फिटकरी बहुत गुणकारी होती है | फिटकरी एक प्रकार का खनिज है जो प्राकृतिक रूप में पत्थर की शक्ल में मिलता है। इस पत्थर को एल्युनाइट कहते हैं। इससे परिष्कृत फिटकरी तैयार की जाती है। नमक की तरह है, पर यह सेंधा नमक की तरह चट्टानों से मिलती है। यह एक रंगहीन क्रिस्टलीय पदार्थ है। इसका रासायनिक नाम है पोटेशियम एल्युमिनियम सल्फेट। संसार को इसका ज्ञान तकरीबन पाँच सौ से ज्यादा वर्षों से है। इसे एलम भी कहते हैं। पोटाश एलम का इस्तेमाल रक्त में थक्का बनाने के लिए किया जाता है। इसीलिए दाढ़ी बनाने के बाद इसे चेहरे पर रगड़ते हैं ताकि छिले-कटे भाग ठीक हो जाएं। इसमें बहुत सारे औषधीय गुण हैं

बवासीर क्यों होती है

बवासीर एक अत्यंत तकलीफदेह बिमारी है।  जिसके कारण व्यक्ति चलने फिरने में भी खुद को असमर्थ पाता है। बवासीर में मल त्याग के समय रोगी को असहनीय दर्द होता है। बवासीर दो प्रकार का होता है खूनी बवासीर (बाह्य बवासीर) एवं बादी बवासीर आतंरिक बवासीर।

खूनी बवासीर- इस बवासीर में गुदाद्वार के बाहर के ऊतक कड़े हो जाते हैं। इनमें सूजन होने के कारण मल द्वार से रक्त स्राव होने लगता है। मल में रक्त के साथ म्यूकस भी आता है। मलत्याग के समय अत्यन्त पीड़ा होती है।

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बादी बवासीर- इस बवासीर में आंतों के अंदर सूजन के कारण मस्से हो जाते हैं। आंतो के अंदर ऊतक न होने के कारण शुरुआत में तो मल त्याग के समय दर्द नही होता। कुछ समय बाद आंतो की सूजन जब बढ़ जाती है तो काले रंग के मस्से हो जाते हैं। शौच करने में काफी तकलीफ होती है। बादी बवासीर के इलाज के लिए पेट को अंदर से स्वस्थ किया जाता है।

अगर रोगी खान-पान में लापरवाह रहता है तो बादी बवासीर खूनी बवासीर में बदल सकती है।

आइए जानते हैं कि बावासीर मे फिटकरी कैसे काम करता है

  1. एक गिलास पानी में आधा चम्मच पिसी हुई फिटकरी मिलाकर प्रतिदिन गुदा को धोयें तथा साफ कपड़े को फिटकरी के पानी में भिगोकर गुदे पर रखने से लाभ होता है
  2. 10 ग्राम फिटकरी को बारीक पीसकर इसके चूर्ण को 20 ग्राम मक्खन के साथ मिलाकर बवासीर के मस्से पर लगाने से मस्से सूखकर गिर जाते हैं।

फिटकरी से बवासीर का इलाज कैसे करें

  1. फिटकरी का घोल पानी में बनाकर उस पानी से गुदा को धोने खूनी बवासीर
  2. में लाभ होता है।
  3. भूनी फिटकरी और नीलाथोथा 10-10 ग्राम को पीसकर 80 ग्राम गाय के घी में मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम बवासीर के मस्से पर लगायें। इससे मस्से सूखकर गिर जाते हैं।
  4. सफेद फिटकरी 1 ग्राम की मात्रा में लेकर दही की मलाई के साथ 5 से 7 सप्ताह खाने से खूनी बवासीर में खून का अधिक गिरना कम हो जाता है।
  5. भूनी फिटकरी 10 ग्राम, रसोत 10 ग्राम और 20 ग्राम गेरू को पीस-कूट व छान लें। इसे लगभग 3-3 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से खूनी तथा बादी बवासीर में लाभ मिलता है।
  6. फिटकरी को तवे पर डालकर गर्म करके राख बना लें। इसे पीसकर घावों पर बुरकाएं इससे घाव ठीक हो जाएंगे। घावों को फिटकरी के घोल से धोएं व साफ करें।
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