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कछुआ रिंग किस उंगली में पहने, कछुआ अंगूठी के लाभ, कछुआ अंगूठी पहनने की विधि

कछुआ रिंग के फायदे – कछुआ रिंग किस उंगली में पहने

आजकल कछुऐ के आकार की अंगूठी का फैशन है। अक्सर लोगो के हाथ में कछुए के आकार की अंगूठी नज़र आ जाती है। कुछ लोग तो इसमें रत्न भी जड़वाते है। पर कुछ लोग सिर्फ इसे फैशन के लिए पहनते है तो कुछ लोग वास्तु के अनुसार। कछुए के डिज़ाइन की अंगूठी हर प्रकार की मिल जाती है। हमारे यहाँ कछुए को शुभ माना जाता है, ऐसा माना जाता है के जो व्यक्ति इसे धारण करता है उसके पास कभी धन की कमी नहीं होती, भगवान विष्णु की कृपा दृष्टि हमेशा बनी रहती है। हलाकि इससे धन की बरसात नहीं होती, लेकिन आपका धन आपके पास आसानी से आ जाता है, उसमे कोई रुकावट नही आती है।

क्यों पहनी जाती है कुछए वाली अंगूठी?

कछुए को भगवान विष्णु के कच्छप अवतार का स्वरूप माना जाता है जिनके सहयोग से सागर मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। वास्तुशास्त्र में भी इसका बहुत महत्व है। मान्यताओं के अनुसार इस अंगूठी के प्रभाव से पहनने वाले व्यक्ति के जीवन में सुखद बदलाव आते हैं। कहते है की कछुए की अंगूठी पहनते वक़्त यह ध्यान रखना चाहिए के कछुए का मुँह पहनने वाले की तरह हो, जिससे की धन उसकी तरफ आये। माना जाता है के कछुआ माँ लक्ष्मी का प्रिय होता है, समुद्र मंथन के वक़्त माँ लक्ष्मी समुद्र में से प्रकट हुई थी, इसलिए कछुआ उन्हें पसंद है। और तो और कहते है के कछुआ भगवान का रूप है। एक और बात ध्यान में रखनी चाहिए के जब भी कछुए की अंगूठी पहने तो इंडेक्स फिंगर में ही पहने। कछुआ निरंतरता, धैर्य, और शांति का प्रतिक माना जाता है।जो भी कछुए की अंगूठी पहनता है उसकी जीवन में शांति, धैर्य, और निरंतरता आती है।

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कछुआ अंगूठी के लाभ

कछुऐ वाली अंगूठी पहनने से जीवन में शीतलता और सौम्यता आती है जिन लोगों का व्यवहार बहुत उग्र होता है, कछुए वाली अंगूठी उनके व्यवहार को संतुलित कर शांत और सौम्य बनाने में मददगार हो सकती है। ज्योतिष के अनुसार कछुआ पानी में रहनेवाला जीव है, इसी कारण इसका संबंध माता लक्ष्मी से भी है क्योंकि दोनों की ही उत्पत्ति जल से हुई है। साथ ही जल का गुण शीतलता है इसलिए यह व्यक्ति की उग्रता कम करने का कार्य करता है। कछुआ गंभीर और अन्तर्मुखी जीव है, इसका प्रभाव भी व्यक्तित्व पर होता है।

कछुआ रिंग किस दिन पहने – पहनते वक्त क्या ध्यान रखें?

कछुए के आकार वाली अंगूठी सदैव चांदी में पहननी चाहिए। अगर किसी अन्य धातु में पहनें तो अपनी राशि का रत्न जड़वाकर पहननी चाहिए। इस अंगूठी को इस तरह पहनें की कछुए का मुख आपकी तरफ होना चाहिए। इसस धन आपकी तरफ आकर्षित होगा। अगर आप इसे इस तरह पहनेंगे की कछुए का मुख बाहर की तरफ हो तो धन एकत्र करने और धनवृद्धि में बाधा आ सकती है।

ध्यान रखें यह जरूरी बात

इस अंगूठी को पहनने से पहले इसका पूजन जरूरी है। इसके लिए यह अंगूठी चांदी में बनवाएं और कछुए की पीठ पर ‘श्रीं’ गुदवाएं। श्रीं इस तरह गुदा हुआ होना चाहिए कि इसकी “ईं” मात्रा बाहर यानी आपकी अंगुली की तरफ रहनी चाहिए और “श्र” आपकी तरफ।

कछुआ अंगूठी पहनने की विधि

किसी भी पूर्णिमा के दिन यह अंगूठी घर लाएं और गाय का दूध, दही, गंगाजल, शहद और तुलसी पत्र को मिलाकर पंचामृत बना लें। अब भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के सामने गाय के घी का दीया जलाकर ‘ओम भगवते कुर्मायै ह्रीं नमः’ मंत्र का एक माला जप करें।

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फिर करें लक्ष्मी पूजा

माला जप के बाद ‘ ओम श्रीं श्रीं कमले कमलायै प्रसीद प्रसीद श्रीं महालक्ष्मी नमो नमः’ मंत्र का जप करते हुए एक प्लेट में अंगूठी रखकर इस पर पंचामृत डालें या फिर आप चाहें तो केवल ‘श्रीं’ मंत्र का 108 बार जप करते हुए यह कार्य करें। इसके बाद गंगाजल से धोकर यह अंगूठी धारण खरें और अपने ईष्टदेव का ध्यान करें।

इसके बाद ध्यान रखनेवाली बात

घर के काम करते हुए, आटा गूंथते हुए या नहाते समय अगर कछुआ अंगूठी उतारनी पड़े तो उतारकर पूजा घर में रखें और स्नान के बाद माता लक्ष्मी के चरणों में छुआकर इस अंगूठी को धारण कर लें।

इस राशि के लोग न पहनें

ज्योतिष के अनुसार कर्क, वृश्चिक और मीन राशि के लोगों को कछुए के आकार की अंगूठी नहीं पहननी चाहिए। ऐसा करना इन राशि के लोगों के लिए शुभ फलदायी नहीं होता है। लक्ष्मी प्राप्ति के लिए इन्हें माता लक्ष्मी की श्रीहरि के साथ नियमित पूजा करनी चाहिए।

अगर आपके व्यापार में नुकसान हो रहा है तो आपको कछुआ रिंग पहननी चाहिए। अगर आपका आत्मविश्वास कम हो रहा है तो आपको कछुआ रिंग पहननी चाहिए। अगर आप आर्थिक समस्या से परेशान हैं तो आपको कछुआ रिंग पहननी चाहिए। अगर आपका स्वास्थ ठीक नहीं रहता है तो आपको कछुआ रिंग पहननी चाहिए। अगर आपके परिवार में कलह क्लेश रहता है तो आपको कछुआ रिंग पहननी चाहिए।

कछुआ रिंग को चांदी सोने या फिर अगर नहीं बनवा सकते तो अष्टधातु की रिंग में बनवा कर पहनना चाहिए। इस रिंग को पहनने से पहले इसे कच्चे दूध या दही में डालकर बृहस्पतिवार के दिन मां लक्ष्मी की प्रतिमा के आगे रखना चाहिए। शुक्रवार की सुबह पूजा के बाद पहनें। 

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