विष्णु सहस्रनाम भगवान विष्णु की स्तुति है जो उनके 1000 नामों का वर्णन करती है। इसे पढ़ने और सुनने से विष्णु भक्तों को शांति, सुख, एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है।
विष्णु सहस्त्रनाम कब पढ़ना चाहिए ?
विष्णु सहस्रनाम पढ़ने के लिए आप उचित स्थान और समय चुन सकते हैं। इसे सुबह उठकर या संध्याकाल में पढ़ना अधिक शुभ माना जाता है। आप इसे खुले आसमान के नीचे या मंदिर या पूजा कक्ष में पढ़ सकते हैं।
विष्णु सहस्रनाम को सुनने से आप ध्यान केंद्रित करते हुए अपने मन को शांत कर सकते हैं और आत्मशुद्धि होती है। यह आपको स्थायित्व और समझदार बनाता है और अंततः आपके आत्मा को प्रशांति और आनंद की अनुभूति होती है।
विष्णु स्तोत्रम की रचना महाभारत के शांति पर्व के अंतर्गत भगवान युधिष्ठिर द्वारा की गई थी। यह स्तोत्र विष्णु के 24 नामों के साथ उनकी महिमा का वर्णन करता है।
विष्णु सहस्रनाम सुनने से हमें अनेक लाभ होते हैं। इसे सुनने से मन और शरीर दोनों का शांत होता है और विचारों में स्थिरता आती है। साथ ही, इस स्तोत्र को सुनने से श्रद्धा बढ़ती है और मन में एकाग्रता आती है। इसके अलावा, इसे सुनने से दुःखों से मुक्ति मिलती है और जीवन में समृद्धि आती है।
विष्णु स्तोत्रम की रचना रचयिता अम्ब्रेशा द्वैपायन वेदव्यास ने की थी। यह स्तोत्र भगवान विष्णु की महिमा वर्णन करता है और उनके हर नाम का विवरण देता है। इस स्तोत्र में भगवान विष्णु के 1000 नाम होते हैं, जो वेदों और पुराणों में उल्लेखित हैं।
इस स्तोत्र को सबसे अधिक उपयोग मंगलवार के दिन किया जाता है। इसके अलावा, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य दिन इसे सुनना चाहता है तो वह अपनी इच्छा के अनुसार भी इसे सुन सकता है।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से हम भगवान विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।
विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र पाठ Vishnu Sahasranamam Stotram
सामान्य प्रश्न
विष्णु सहस्रनाम कब पढ़ना चाहिए?
विष्णु सहस्रनाम पूजा, ध्यान और जप के रूप में पढ़ा जा सकता है। यह विशेष रूप से दशहरा, एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या, मकर संक्रांति जैसे पवित्र अवसरों पर पढ़ा जाता है। इसके अलावा, इसे दैनिक जीवन में भी पढ़ा जा सकता है ताकि इससे शांति, समृद्धि, उत्तम स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त हो सके।
विष्णु सहस्रनाम सुनने से क्या होता है?
विष्णु सहस्रनाम सुनने से आध्यात्मिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। इसके अलावा, इसे पढ़ने या सुनने से मन को शांति मिलती है और स्त्रेस और तनाव का समाधान होता है। इसके अलावा, विष्णु सहस्रनाम पढ़ने या सुनने से मन की शक्ति, समझदारी, सामंजस्य और भक्ति में वृद्धि होती है।
विष्णु स्तोत्रम की रचना किसने की?
विष्णु स्तोत्रम की रचना वेदव्यास जी ने की थी। इसे महाभारत के उद्योग पर्व के अनुसार बताया जाता है। यह स्तोत्र भगवान विष्णु के 1000 नामों का उल्लेख करता है जो उनके गुणों, स्वरूप, शक्तियों और लीलाओं का वर्णन करते हैं। यह स्तोत्र पढ़ने वाले की मन की शुद्धता बढ़ाता है और उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा देता है।
विष्णु स्तोत्रम का उद्घाटन श्री भीष्म पितामह ने किया था। श्रीमद्भगवद्गीता में अर्जुन का प्रश्न था कि कौन सा तत्त्व सर्वोच्च और आध्यात्मिक है। उस पर श्री कृष्ण ने उत्तर देते हुए अपनी स्थानीय देवता विष्णु का उल्लेख करते हुए कहा था कि वह सबसे श्रेष्ठ और सर्वोच्च हैं। उन्होंने फिर अर्जुन को विष्णु के 12 नाम बताए, जिनमें एक नाम था ‘विष्णु’।
श्री भीष्म पितामह ने अपने आखिरी समय में पांच दिनों तक अपने शिरोमणि पर श्री कृष्ण को सुनाते हुए विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र को उत्तर-पूर्व दिशा की ओर मुँह करके रचा था। इस स्तोत्र में विष्णु के 1000 नाम हैं, जो भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन करते हैं।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से भक्त को अनेक लाभ होते हैं। इसके माध्यम से विष्णु के 1000 नामों का जाप करने से मन को शांति मिलती है। इसके अतिरिक्त, इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और भक्त को संसार के समस
विष्णु स्तोत्रम की रचना वेदव्यास ने की थी। यह स्तोत्र विष्णु भगवान की महिमा का वर्णन करता है। इस स्तोत्र में विष्णु भगवान के 1000 नामों का जिक्र किया गया है जो भगवान के गुणों का वर्णन करते हैं। इस स्तोत्र को पढ़ने या सुनने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और भगवान की आराधना में लगाव बढ़ता है। विष्णु स्तोत्रम को सबसे अधिक पढ़ा जाने वाला वैदिक स्तोत्र है। यह हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण है और लोग इसे अलग-अलग अवसरों पर पढ़ते हैं, जैसे कि दुर्गा पूजा, जन्माष्टमी और नवरात्रि आदि।
विष्णु स्तोत्रम को पढ़ने के लिए, सबसे पहले आपको एक शांतिपूर्वक वातावरण में बैठना चाहिए। फिर विष्णु स्तोत्रम की पाठ शुरू करने से पहले, आपको अपने मन में भगवान विष्णु की स्मरण करना चाहिए। फिर आप अपनी पसंद के अनुसार इस स्तोत्र को या तो पढ़ सकते हैं या फिर सुन सकते हैं। बहुत से लोग इस स्तोत्र को सोते समय पढ़ते हैं क्योंकि इसे पढ़ने से मन शांत होता है और उन्हें आशा, उत्साह, शक्ति और संतुलन मिलता है। इस स्तोत्र के पढ़ने से मन का शांत हो जाने के कारण, इसे ध्यान और मेधा बढ़ाने के लिए भी पढ़ा जाता है। इस स्तोत्र के द्वारा भगवान विष्णु की भक्ति की जाती है और उनकी कृपा मिलती है।
इस स्तोत्र को पढ़ने का समय कोई निश्चित समय नहीं है, लेकिन सबसे अधिक इसे सुबह उठकर पढ़ने का लाभ होता है। सुबह के समय मन शांत होता है और इस स्तोत्र को पढ़ने से उसे शांति मिलती है। इसके अलावा, इस स्तोत्र को रोज पढ़ने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और उनकी आशीर्वाद से श्रद्धालु को श्री हरि की कृपा प्राप्त होती है और उनके जीवन में सुख, समृद्धि, सफलता और शांति का आभास होता है। इस स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है जो हमारी आत्मा को उन्नति की ऊंचाइयों तक ले जाता है। इसके अलावा, इस स्तोत्र के पाठ से मन की अशांति दूर होती है और मनुष्य को एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्राप्त होता है।