दुकान में किस तरफ मुंह करके बैठना चाहिए

दुकान में किस तरफ मुंह करके बैठना चाहिए

जब कोई भी व्यक्ति अपनी दुकान या अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान को खोलता है तो वह चाहता है कि उसे अपने व्यापार में लाभ हो। वह हर संभव प्रयास करता है जिससे कि उसे कार्य क्षेत्र में सफलता प्राप्त हो। दुकान में आप की गद्दी, आपकी कुर्सी भी आपके व्यापार को सफल बनाने में मददगार हो सकती है। वास्तु के अनुसार आपके बैठने की जगह, दिशा और स्थिति आपके व्यापार को दशा और दिशा प्रदान करती है। सुनने में यह थोड़ा अजीब लगता होगा पर यह एक आजमाया हुआ सच है। अगर आप एक उचित स्थान पर बैठते हैं तो वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण सेआपको सफलता प्रदान करता है। तो आइए जानते हैं कि आपकी दुकान में, आपके व्यापार में आपके बैठने की जगह कैसी होनी चाहिए।

दुकान में किस तरह बैठना चाहिए

दुकानदार सफलता के लिए किस दिशा में मुंह करके बैठे :

सर्वप्रथम तो व्यापार में सफलता पाने के लिए आपको दुकान में हमेशा अंदर बैठना चाहिए। अगर दुकानदार ही दुकान के बाहर बैठेगा तो दुकान के चलने की संभावना निम्नतम होगी। दुकानदार को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर करके बैठना चाहिए। इससे भगवान सूर्य की कृपा आप पर होती है और आपका व्यापार निरंतर प्रगति करता है। दुकानदार को कभी भी पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके नहीं बैठना चाहिए। इससे दुकानदार को व्यापार में हानि होने की संभावना होती है। लेकिन अगर आपको दक्षिण पश्चिम दिशा में मुंह करके बैठना पड़ रहा है तो फिर आप अपनी कुर्सी को थोड़ा सा उत्तर या पूर्व की तरफ घुमा कर बैठे। जिससे कि आपका मुख उत्तर या पूर्व की दिशा में हो जाए। आप टेबल चेयर पर बैठते हैं तो आपकी टेबल चेयर दक्षिण या पश्चिम दिशा में होनी चाहिए जिससे कि आपका मुंह उत्तर या पूर्व दिशा में हो। यदि आपकी दुकान का प्रवेश द्वार पश्चिम दिशा की ओर है तो उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ना बैठे। जिस भी दिशा में आप बैठे भगवान का नाम लेकर सकारात्मक सोच रखते हुए चेहरे पर एक मुस्कुराहट रखते हुए बैठे।

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व्यवसाय के अनुसार किस दिशा में हो आपकी दुकान का प्रवेश द्वार

अपने व्यापार को अगर हम सफल बनाना चाहते हैं तो हमें अपने प्रवेश द्वार पर भी ध्यान देना होगा। अगर हमारी दुकान का प्रवेश द्वार पूर्व या ईशान कोण में है तो यह हमारे लिए सर्वथा उपयुक्त है। पूर्व दिशा भगवान सूर्य की दशा कही जाती है। अगर इस दिशा में प्रवेश द्वार है तो यह आपको अधिक ग्राहक प्रदान करने में मदद करेगा।
फिर भी अलग-अलग व्यवसाय के व्यवसायी के लिए बैठने की दिशा अलग अलग हो सकती है।
अगर आपकी कपड़े की दुकान है तो आपकी दुकान का प्रवेश द्वार दक्षिण या दक्षिण पूर्व दिशा में होना चाहिए। अगर आपकी ग्रॉसरी शॉप है तो इसका प्रवेश द्वार ईशान कोण (उत्तर पूर्व दिशा) या फिर पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। अगर आपकी फर्नीचर की दुकान है तो इसका प्रवेश द्वार दक्षिण दिशा में होना चाहिए। अगर आपकी स्टेशनरी की दुकान है तो इसका मुंह पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।

आपकी दुकान का प्रवेश द्वार कैसा हो

आपका प्रवेश द्वार बाधा मुक्त होना चाहिए। वहां पर बड़े पेड़ खंबे, बड़े आकार की या किसी भी प्रकार की भारी वस्तु को नहीं होना चाहिए। किसी भारी वस्तु को भी बाधा ही कहेंगे। प्रवेश द्वार को बाधा मुक्त होना चाहिए प्रवेश द्वार के सामने कोई खंबा नाला आदि नहीं होना चाहिए। इसके अलावा वहां पर दरवाजे की चौखट या स्थिर पानी का स्रोत तालाब आदी नहीं होना चाहिए। जिससे कि सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह आसानी से हो सके। कोशिश करें कि आपकी दुकान ऐसी जगह पर हो जहां पास में ही श्मशान घाट, कब्रिस्तान, अस्पताल या पुलिस स्टेशन ना हो यह सारी चीजें नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं। इसलिए आपके व्यवसाय का स्थान इन जगहों से दूर होना चाहिए। अगर आप सकारात्मक सोच के साथ वास्तु के अनुसार अपनी दुकान बस दुकान के अंदर बैठने की व्यवस्था को रखते हैं तो आपको कभी भी हानि का सामना नहीं करना पड़ेगा। साथ ही साथ आपकी दुकान के सामने कोई भी बिजली का ट्रांसफार्मर नहीं होना चाहिए।

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किस दिशा में ना हो दुकान का प्रवेश द्वार

दुकान का प्रवेश द्वार आग्नेय कोम में (दक्षिण पूर्व दिशा) का कोना या वायव्य कोण (उत्तर पश्चिम) दिशा में कभी भी नहीं होना चाहिए। यदि आप की दुकान पश्चिम दिशा में है तो दुकान के मालिक की बैठने की जगह ईशान कोण में नहीं होनी चाहिए। अधिकतर लोग अपने दुकान के प्रवेश द्वार के सामने आदम कद शीशे लगवा देते हैं। यह आदम कद शीशा या आईना उस क्षेत्र के आकार को दोगुना कर देता है। हमें दर्पण लगाते समय बहुत सावधानी रखनी चाहिए। यदि क्षेत्र को पहले से ही बढ़ाया गया है तो यहां पर बड़ा दर्पण लगाने से वह आगे और बढ़ेगा जिससे कि हमारी उर्जा असंतुलित हो जाएगी। आईना किसी भी चीज को परावर्तित करता है अगर हम उसे किसी नकारात्मक ऊर्जा वाले स्थान में लगाएंगे तो यह परावर्तित होकर हमारे पास भी आएगी। इसलिए ऐसी जगह जहां आग लगने का खतरा हो या ऐसी जगह जहां बहुत गंदगी हो, कूड़े का ढेर हो वह हमें आईने को नहीं लगाना चाहिए।

कैसा हो आपकी दुकान का गल्ला या कैश काउंटर

आपकी दुकान का गल्ला या कैश काउंटर उत्तर दिशा में रखना चाहिए और यह ऊपर की स्थिति में खुलना चाहिए। व्यापारी को अपना गल्ला या फिर कैश बॉक्स आग्नेय कोण में रखकर बैठना चाहिए। कोशिश करें कि इसे इस तरह से रखा जाए कि यह उत्तर की ओर ही खुले। अगर आपका कैश या लॉकर किसी अलग कमरे में या अलमारी में होता है तो वह दक्षिण पश्चिम दिशा में होना चाहिए। उस अलमारी का दरवाजा उत्तर दिशा में खुलना चाहिए। कैशबॉक्स में हमेशा कुछ न कुछ धन अवश्य होना चाहिए उसे पूरा खाली कभी भी ना करें। उसमें एक हल्दी की गांठ, कुछ सिक्के और चांदी की लक्ष्मी गणेश की मूर्ति या चांदी का एक चौकोर टुकड़ाअवश्य होना चाहिए। अगर हो सके तो कैश बॉक्स भगवान के मंदिर में ही रखा होना चाहिए। अगर संभव हो तो जिस तरह से हम भगवान की पूजा करते हैं उसी तरह से कैश बॉक्स की भी पूजा करनी चाहिए। शाम की पूजा के बाद अपनी बचत में से इसमें कुछ पैसे अवश्य डालने चाहिए। आप इसमें अपनी रोज की कमाई का कुछ हिस्सा डाल सकते हैं।

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कैसा हो आपकी दुकान का आकार प्रकार

वास्तु के अनुसार किसी भी प्रकार की व्यवसायिक दुकान वर्गाकार या आयताकार होनी चाहिए। दुकान अनियमित आकार की नहीं होनी चाहिए। दुकान तिकोनी या पंचमुखी नहीं होनी चाहिए। दुकान का पिछला भाग कम चौड़ा होना चाहिए और आगे का भाग ज्यादा चौड़ा और स्पेसियस होना चाहिए। दुकान में ढलान भी नहीं होना चाहिए। दुकान में हल्की चीजें उत्तर पूर्व दिशा में रखें। अगर आप की दुकान किसी शोरूम या कपड़ों की या ज्वेलरी की है तो दुकान में हल्का संगीत चलते रहना चाहिए। ओम व गायत्री मंत्र सुबह शाम हल्की आवाज में चलाना चाहिए। यह सारी ध्वनियाँ वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है। दुकान में रोशनी की भी अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। दुकान को साफ एवं व्यवस्थित रखना चाहिए।

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