बवासीर एक ऐसी बीमारी है जो रोगी के शरीर को अंदर से खोखला कर देती है।
इस बीमारी में मल विसर्जन के समय लगातार रक्त प्रवाह एवं गुदाद्वार में सूजन के कारण व्यक्ति को असहनीय दर्द होता है ।
क्यों होता है बवासीर
अनियमित दिनचर्या व व्यस्त जीवन शैली के कारण हम सबसे ज्यादा लापरवाही अपने भोजन के साथ करते हैं। फास्ट फूड का बढ़ता प्रचलन व गरिष्ठ भोजन के सेवन से हमें कब्ज होती है। जिसके कारण मल विसर्जन एक दुखद और दो-तीन दिन तक न होने वाली प्रक्रिया हो जाती है।
कब्ज की स्थिति जब कष्टदायक हो जाती है तो कब्ज बवासीर का रूप धारण कर लेती है। बवासीर में गुदाद्वार पर मस्से, सूजन एवं जलन होती है।
बवासीर दो प्रकार की होती बाह्य एवं आंतरिक
बाह्य बवासीर
बाह्य बवासीर में गुदाद्वार के बाहर मस्से हो जाते हैं। जब मस्से कड़े हो जाते हैं तो वहां सूजन हो जाती है । यह काफी कष्टदायक स्थिति होती है।
आंतरिक बवासीर
आंतरिक बवासीर में आंतों के अंदर सूजन हो जाती है।अंदर आंतों में कोई ऊतक न होने के कारण प्रारंभ में दर्द नहीं होता। कुछ समय बाद मल विसर्जन के समय मल के साथ काफी मात्रा में रक्त पात होता है।
बवासीर एक लाइलाज बीमारी तो नही है पर इसका इलाज थोड़ा लंबा जरूर होता है। बवासीर के रोग को जड़ से खत्म करने के लिए रोगी को पहले अपनी दिनचर्या को नियमित करना आवश्यक है।
बवासीर में दिनचर्या
रोगी को अपने खान-पान के साथ योग प्राणायाम पर भी ध्यान देना चाहिए। सुबह-शाम सैर से व्यक्ति को मल विसर्जन में सुविधा होती है। ऑफिस में भी हर 20 से 40 मिनट में अपनी पोजीशन चेंज कर लें। लगातार एक जगह बैठे रहने से मस्सों पर दबाव पड़ता है। जो बवासीर को और तकलीफदेह बना देता है।
बवासीर में योग
पवनमुक्तासन, हलासन, सर्वांगासन, सूर्य नमस्कार बवासीर में लाभदायक योगासन हैं। कपालभाति प्राणायाम, अनुलोम विलोम प्राणायाम शुरुआती बवासीर में काफी लाभदायक होता है । कपालभाति प्राणायाम शरीर में रक्त संचार को सुचारू कर कब्ज एवं बवासीर को जड़ से समाप्त करने में कारगर होता है। अनुलोम विलोम प्राणायाम आंतों की सफाई करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बवासीर में एक्यूप्रेशर
एक्यूप्रेशर पद्धति अपनाकर भी हम बवासीर से निजात पा सकते हैं। एक्यूप्रेशर चिकित्सा में हमारे हाथों की हथेलियों एवं पैरों के तलवों के प्रेशर पॉइंट को दबाना होता है। हमारे शरीर में अलग-अलग जगह प्रेशर पॉइंट होते हैं जिनके बारे में जानकर हम अपने शरीर को रोगमुक्त कर सकते हैं।
हमारी जीवन शैली और बवासीर
हम योग, प्राणायाम या एक्यूप्रेशर जिस भी पद्धति को अपनाए उसे उचित मार्गदर्शक की देखरेख में ही सीख कर अपनाएं।
रोगी को योग, प्राणायाम, सैर, एक्यूप्रेशर अपनी साप्ताहिक दिनचर्या में शामिल कर लेना चाहिए ।
बवासीर में आहार
भोजन में फल, रेशे युक्त आहार, छिलके वाली दाल, चोकर युक्त आटा शामिल करना चाहिए।
बवासीर के रोगी को बारीक पिसा आटा या मैदे के स्थान पर ज्वार, बाजरा,मक्का खाना चाहिए। मोटा अनाज आंतों को स्वस्थ रखता है। गर्म, तीखे, खट्टे मसालेदार एवं तले भुने भोजन से रोगी को परहेज करना चाहिए। हमेशा ऐसे भोजन का सेवन करना चाहिए जिसे पचाना आसान हो।
बवासीर में कौन से फल खाएं
रेशे वाले फल अमरूद, संतरा, नाशपाती, पपीता, जामुन का सेवन ज्यादा करें । आम उष्ण प्रकृति का फल माना जाता है। नारियल का भी कम मात्रा में सेवन करना चाहिए। यह रेशेदार होने के बावजूद भयंकर बवासीर में कभी-कभी हानि पहुंचा सकता है । केले को कब्ज कारक माना जाता है। नारियल, केले, आम आदि फल बवासीर में कम मात्रा में खाये।
बवासीर में कैसा भोजन खाएं
सात्विक प्रवृति का भोजन लौकी, तोरई,करेला, खीरा, ककड़ी, टमाटर हरी पत्तेदार सब्जियां,सलाद का सेवन प्रचुर मात्रा में करे।
दलिया, मूंग दाल, खिचड़ी आदि सुपाच्य पदार्थ को दिन मैं एक समय के भोजन में अवश्य शामिल करें।
बवासीर में क्या न खाएं
बवासीर में तामसी प्रवृति का भोजन वर्जित माना जाता है। आलू, अरबी, भिंडी, उड़द, पूड़ी, पराठे का सेवन अगर संभव हो तो निषेध कर दें । अचार पापड़ का भी अल्प मात्रा में प्रयोग करें।
पेय पदार्थ
भरपूर मात्रा में जल ग्रहण करें किन्तु ध्यान रहे कि जल न तो ज्यादा गर्म हो और न ही ज्यादा ठंडा । फलों का रस, सब्जियों का जूस, सूप आदि बवासीर में लाभदायक होता है। भोजन का पाचन सुगम करता है। काला नमक मिला नींबू पानी बवासीर में फायदेमंद होता है।
दही को पानी मिलाकर मथानी से मथे । इसमें भुना हुआ जीरा और काला नमक मिलाकर मट्ठा बनाएं । इसे पीने से बवासीर में आराम मिलता है। नारियल पानी भी कब्ज को दूर करता हे।
निषेध पेय पदार्थ
शराब, सिगरेट, तंबाकू गुटखा आदि का प्रयोग बिल्कुल बंद कर दें। चाय, कॉफी आदि कैफीन युक्त पदार्थ का सेवन कम कर दें। सॉफ्ट ड्रिंक, कोल्ड ड्रिंक, आर्टिफिशियल शुगर युक्त पेय पदार्थ का सेवन भी बवासीर के लिए हानिकारक होता है।
अगर आहार-विहार में परिवर्तन करने पर भी बवासीर की तकलीफ बढ़ जाए तो उसका इलाज करना अनिवार्य हो जाता है।
बवासीर के इलाज के लिए सबसे पहले तो हम घरेलू इलाज ही करते है।
बवासीर के घरेलू उपाय
नारियल का तेल- बवासीर के मस्सों पर नारियल का तेल लगाने से सूजन और जलन कम होती है। इसबगोल- रात को सोते समय इसबगोल पीने से मल त्याग आसानी से होता है। इससे कब्ज दूर होती है और बवासीर में धीरे-धीरे आराम मिलता है।
एपल सिडार विनेगर- एप्पल सिडार विनेगर में एंटीबैक्टीरियल गुण पाये है । यह गुदा मार्ग में हुए इन्फेक्शन को रोकने में मददगार साबित हुआ है।
सहजन के पत्ते- सहजन के पत्ते में तोरई का रस निकाल कर गुदाद्वार पर लगाते है। जिससे मस्सों की सूजन कम होती है और वे सूख जाते हैं।
फिटकरी भी कारगर है बवासीर में
फिटकरी में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। एंटीबैक्टीरियल गुणों के कारण फिटकरी बवासीर के मस्सों की सूजन कम करती है। फिटकरी को पानी में उबालकर उस पानी से मस्सों की सफाई करने से मस्से धीरे-धीरे झड़ जाते हैं।
इतने पर भी अगर बवासीर की बीमारी में आराम न मिले तो तत्काल योग्य चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।